बाल गतिविधि केंद्र (सागर) |
बात उन दिनों की है जब संस्था समावेश के द्वारा मुझे एक चुनौती मिली कि आपको समुदाय में एक सामुदायिक बाल गतिविधि केंद्र खोलना है । जो समुदाय के बीच बिना किसी किराए का एक कमरा हो तथा जहां पर बच्चों को खेलने की पर्याप्त जगह हो।
इस चुनौती को पूरा करने के लिए मैंने अपने कार्य क्षेत्र के 3 गाँवो में भ्रमण किया । लेकिन इस कार्य को करने के लिए गांव का कोई भी व्यक्ति तैयार नहीं हुआ । यह देखकर मुझे काफी निराशा हुई।
अगले दिन फिर मैं समनापुर गांव की ओर निकला ,वहां बहुत सारे लोगो से बात की, लेकिन फिर भी इस काम को करने के लिए कोई राजी नहीं हुआ। फिर भी मैंने हार नहीं मानी, चिलचिलाती धूप में धीरे-धीरे गांव की तरफ बढ़ता चला गया । बड़ी जोरों की प्यास भी लग रही थी, तभी मेरी नजर गांव के एक सज्जन व्यक्ति पर पड़ी जो नीम के पेड़ की छांव में बैठकर अपनी 11 साल की बेटी को कहानी सुना रहे थे । उसे देखकर मेरे मन में कुछ आशा कि किरण जगी । फिर मैं उनके पास गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि यहां मेरा काम बन सकता है ।
मैंने उस व्यक्ति के पास जाकर उन्हें अपना परिचय दिया एवं कार्यक्रम के बारे में बताया, और कहा कि हम आपके यहां बाल गतिविधि केंद्र खोलना चाहते हैं। जिसमें आपके गांव के बच्चे आकर कहानी की किताबें पढ़ सकेंगे और खेल सकेंगे और साथ ही गांव के युवा व बुजुर्ग लोग भी किताब ले सकेंगे। इस तरह से आप समाज सेवा भी कर पाएंगे । सबसे अच्छी बात यह होगी कि आपके बच्चों को भी सहजता से पुस्तक पढ़ने को मिलेगी।
मेरी बात सुनकर पहले तो उस आदमी ने मुझे माना कर दिया। लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि जिस प्रकार आप एक बच्ची को कहानी सुना रहे हैं । उसी प्रकार आपके यहां, गांव के सभी बच्चे आकर पढ़ेंगे, यह आपके लिए बहुत गर्व की बात होगी । यह सुनकर उन्होंने बाल गतीविधि केंद्र खोलने के लिए ‘हाँ’ कर दिया । उन्होंने मुझे एक ऐसी जगह दिखाई जहां बैठ पाना भी संभव नहीं था । लेकिन मैने उन्हें मना नहीं किया। क्योंकि मैं अपनी मेहनत से उस जगह को एक अच्छा रूप दे सकता था। दूसरे दिन में वहां गया और कुर्मी जी (घर- मालिक) के साथ व सरपंच जी से मेरी बात हुई, और वहां की जगह को समतल करवाने एवं एक अच्छा मैदान बनाने के लिए कहा । काफी देर समझाने के बाद उन्होंने मेरी बात मान ली और स्वयं की लागत से वहां एक अच्छा बाल गतिविधि केंद्र एवं एक आंगन बनाने को तैयार हुए ।
एक दिन बालमित्र के घर सभी सदस्यों ने मिलकर मेहनत की और आंगन को समतल किया । फिर धीरे-धीरे वहां पर एक छोटे से बगीचे का रूप दे दिया । इतना सब कुछ करने के बाद वह आंगन काफी सुंदर दिखने लगा। फिर क्या था खुमान जी ने गेट भी लगवा दिया। जुलाई 2019 को बाल गतिविधि केंद्र पूर्ण रूप से तैयार हो चुका था। इसमे कुल 10 हजार रूपए की लागत आई। लेकिन सभी लोग उस जगह का नजारा देखकर खुश हुए। इसके बाद उसका भव्य उद्घाटन हुआ। जिसमें शिक्षा विभाग के बी आर सी- श्री आर एस दीक्षित, कमल जी जैन (बी ए सी) राज्य आजीविका मिशन जिला प्रबन्धक, ब्लॉक मैनेजर, सरपंच, सचिव, शिक्षक, समुदाय के लोग, बच्चे, व अन्य अधिकारी गण शामिल हुए। यह देखकर श्री खुमान जी ने कहा मेरे जीवन का यह पहला दिन है जहां पर इतने बड़े अधिकारी आये और जो सम्मान मिला इस हेतु मैं संस्था समावेश का आभारी रहूंगा। इस तरह से खुमान जी और उनके परिवार से मानो एक गहरा रिश्ता बन गया। इस तरह से पहले रहली में पहले बालगतिविधि केंद्र की स्थापना हुई।
और तब से बालगति विधि केंद्र सतत रूप से चलने लगा । इस बाल गतिविधि केंद्र को खुद श्री खुमान जी, उनकी पत्नी लक्ष्मी, दो बेटियाँ और आस पास के लोग मिलकर चला रहे हैं ।
यहां प्रतिदिन 25 से 30 बच्चे आते है और इसका भरपूर लाभ उठाते है ।
कुछ दिन बाद मैंने उनसे पूछा यहां जब बच्चे आते हैं तब आपको कैसा लगता है, उन्होंने मुझे जवाब दिया, हमारे सूने घर मैं जब इतने सारे बच्चे आते हैं, पढ़ते हैं, और खेलते हैं, तब मेरा मन हर्षोल्लास से भर उठता है। उन्होंने मुझे इस कार्य के लिए सहृदय धन्यवाद दिया और कहा कि गांव के बच्चों के लिए आप उदाहरण बन गये ।
लाभार्थी- समस्त समनापुर कला गांव के बच्चे
अनुभवकर्ता- अमित जनमित्र
गांव का नामः- समनापुर कला
पता:- ग्राम समनापुर, तहसील रहली, जिला सागर, मध्य प्रदेश
अच्छी कहानी लिखी है निरंकारी जी ने। आप को लोगों को प्रोत्साहित करना खूब आता है और शिक्षा के विस्तार में इस की खूब जरूरत है।
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