कोरोना काल में शैक्षिक आंगन के जरिए पालकों की भागीदारी से बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की अनूठी पहल !

 
दिवासी बहुल झाबुआ जिले में थांदला ब्लॉक  की प्राथमिक विद्यालय झोसली,  विकास खंड मुख्यालय से 30 किलो मीटर दूर है । गांव में सभी परिवार आदिवासी समुदाय से आते है । जहाँ से करीब 25 प्रतिशत परिवार अपने बच्चों को लेकर गुजरात पलायन पर चले जाते है । बच्चो को पलायन जाने से रोकने व इनकी  अच्छी  शिक्षा के लिए विद्यालय के शिक्षक मुकेश मेड़़ा पिछले दो वर्षो से पालकों को समझाने का प्रयास करते आ रहे हैं । इस बीच नए सत्र में एसएमसी अध्यक्ष जो कि दबंग था इसे बदलने को लेकर झगड़ा हो गया इससे पालकों और शिक्षक के बीच खींचातानी  बढ़ गई  । शिक्षक ने इस मुद्दे का हल निकालकर पुनः बच्चों के हित में काम करने की सोची और कोरोना के दौरान गांव में रह रहे सभी पालकों से संपंर्क साधा । बच्चे अपने फलिये व घरों में बकरी चराने, भाई-बहन को संभालने और  खेलने-कूदने में  लगे रहते थे इन्हें घर पर ही  पढ़ाने और मदद करने की योजना बनाई ।

 
शिक्षक मुकेश मेड़ा शासन द्वारा चल रहे “हमारा घर हमारा विद्यालय”  की गतिविधियों को शुरु करने की कोशिश की । लेकिन एक-एक बच्चे तक पहुंच बनाकर माहौल बनाना मुश्किल लग रहा था । ऐसे में समावेश के साथियों से संपर्क साधा और सीखने का आंगन  "हिकवानू ऑगणू " अवधारणा के बारे में बात हुई । शिक्षक मुकेश मेड़़ा समावेश व यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से चल रहे शिक्षा प्रोग्राम से जुडे हुए है। इसलिए इन्हें  समझने  में देर नही लगी । युवा, बच्चों व पालकों से मिलकर पढ़ाई से नफा नुकसान पर बातचीत की और सीखने का आंगन  "हिकवानू ऑगणू "  सबकी भागीदार से शुरुआत की। जिसमें खेल, गीत, कविता,  कहानियां वर्कशीट, डीजीलेप, रेडियों कार्यक्रम और पुस्तकों को शामिल किया। इसे क्रियान्वयन के लिए बच्चों के माता-पिता ने घर पर पढ़ाने और दो घंटे सीखने के आंगन में भेजने, देख रेख करने एवं मदद के लिए स्थानीय चार युवाओं को जिम्मेदारी दिलवाई ।

शासन के निर्देश अनुसार शारीरिक दूरी बनाए रखने, साफ सफाई और मास्क लगाने संबंधी बातों को ध्यान रखने की बात प्राथमिकता से रखी गई ताकि पालना हो सके । शुरू में  8 से 10 पालक ही घर में बच्चों को बिठाते थे। लेकिन सीखने के आंगन में युवाओं की भूमिका बढ़ने से आस-पास के 10 से 12 परिवारों के बच्चों को एक साथ जोड़कर पुस्तकों, टीएलएम व खेल के जरिये सिखाने में मदद की जाने लगी इससे वर्तमान में 30 से 35 परिवार अपने बच्चों को सीखने के आंगन में भेजने लगे है । शिक्षक युवाओ और पालकों को लगतार प्रोत्साहित कर रहे है । इससे सभी पालक पिछले द्वंद को भूलकर एकजुट हुए और बच्चों की  पढ़ाई में योगदान दे रहे हैं ।         
कोरोना काल में छोटे से गांव झोसली से शुरु हुई इस अनूठी पहल को देखकर आस-पास गांवों के शिक्षक और पालक भी प्रेरित होकर काम करना शुरु कर दिया है ।  
भुजराम शिविरा
ब्लॉक - थांदला
जिला - झाबुआ   

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